जालोर। पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन एवं जालोर विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जालोर महोत्सव का आगाज शोभायात्रा के साथ हुआ। तीन दिवसीय इस महोत्सव की शुरुआत सुबह 9 बजे हुई, जबकि 11 बजे मुख्य अतिथि ने ध्वजा लहराकर उत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया।
शोभायात्रा ने बिखेरी सांस्कृतिक छटा
जालोर महोत्सव के समन्वयक रतन सुथार ने बताया कि महोत्सव को लेकर जिलेभर में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। शोभायात्रा सुबह 9:30 बजे बागोड़ा रोड स्थित हनुमानशाला स्कूल से रवाना हुई। शोभायात्रा में सबसे आगे ढोल-नौबत पर ध्वजा लहराते युवक चल रहे थे, जो महोत्सव के गौरव को दर्शा रहे थे। उनके पीछे हाथी, घोड़े और ऊंटों का काफिला चल रहा था, जिसने राजस्थानी संस्कृति की झलक पेश की।

शोभायात्रा में विशेष आकर्षण कलशधारी बालिकाएं रहीं, जिन्होंने पारंपरिक परिधानों में भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़ी। इसके अलावा, गैरिये गैर नृत्य की झलक ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जब यह शोभायात्रा जिला स्टेडियम पहुंची, तो वहां मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण कर महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया गया।

सांस्कृतिक एवं खेलकूद प्रतियोगिताओं की धूम
ध्वजारोहण के बाद नटराज मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वहीं, जिला स्टेडियम और कॉलेज ग्राउंड में खेलकूद प्रतियोगिताएं कराई गईं, जिनमें स्थानीय युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
शाम 5:30 बजे महोत्सव के अंतर्गत साफा बांधो प्रतियोगिता का आयोजन होगा, जिसमें प्रतिभागी अपनी कुशलता का प्रदर्शन करेंगे।
रात को होगा कवि सम्मेलन
महोत्सव के पहले दिन का समापन रात में आयोजित कवि सम्मेलन के साथ होगा, जिसमें देशभर के चर्चित कवि अपनी रचनाओं से श्रोताओं को गुदगुदाएंगे और विचारों की रसधारा प्रवाहित करेंगे।

महोत्सव में गणमान्यजनों की उपस्थिति
इस भव्य आयोजन में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल, जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गवांडे, पुलिस अधीक्षक ज्ञानचंद्र यादव, एडिशनल एसपी मोटाराम, डीवाईएसपी गौतम जैन, एडीएम राजेश मेवाड़ा, एसडीएम मनोज, जालोर विकास समिति के सचिव मोहन पाराशर एवं महोत्सव समन्वयक रतन सुथार सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
तीन दिन तक रहेगा उल्लास का माहौल
आगामी दिनों में भी महोत्सव के तहत विभिन्न सांस्कृतिक एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। जालोर महोत्सव न केवल जिले की सांस्कृतिक विरासत को संजोने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यहां की लोककला, परंपराओं और खेल प्रतिभाओं को भी राष्ट्रीय पटल पर लाने का कार्य करता है।
