बाड़मेर. जिला मजिस्ट्रेट निशांत जैन ने जिले के सभी उपखण्ड अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, तहसीलदारों एवं सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में 10 मई को अक्षय तृतीया व 23 मई को पीपल पूर्णिमा पर होने वाले संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए पुख्ता इन्तजाम करें तथा इसमें किसी भी प्रकार की कोत्ताही नही बरतें।
जिला मजिस्ट्रेट जैन ने बताया कि 10 मई को अक्षय तृतीया (आखा तीज) व 23 मई को पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वों तथा अबूझ सावों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाएँ रहती हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह अपराध है जिसकी रोकथाम के लिए आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने के प्रावधान हैं जिससे बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोका जा सकें।
उन्होंने बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों, वृत्ताधिकारी, थानाधिकारी, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम विकास अधिकारियों, कृषि पर्यवेक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं, महिला सुरक्षा सखी, शिक्षकों, नगरीय निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचो व वार्ड पंचों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर आम जन को जानकारी कराते हुए जन जागृति उत्पन्न करने के साथ ही जन सहभागिता व चेतना जागृत कर समाज की मानसिकता एवं सोच के सकारात्मक परिवर्तन के लिए कार्ययोजना बनाकर कार्य किये जाने के निर्देश दिए।
उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों (उपखण्ड मजिस्ट्रों) को निर्देशित किया कि बाल विवाहों की प्रभावी रोकथाम के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में समुचित कार्यवाही सुनिश्चित कर बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्यवाही सुनिश्चित की जावें। बाल विवाहों के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 16 के तहत नियुक्त ‘‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों‘‘ (उपखण्ड मजिस्ट्रेट) की जबावदेही नियत की गई है जिनके क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होती है, उनके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
*संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए इस प्रकार बनाये कार्य योजना*
जिला मजिस्ट्रेट ने निर्देशित किया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न स्वयं सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जायें। विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी व्यक्ति या समुदाय यथा-हलवाई, बैण्ड-बाजा वाले, पण्डित, बाराती, टेन्ट वाले, ट्रान्सपोर्ट्स इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून के बारे में जानकारी देना, जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन करना तथा ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में चर्चा कर रोकथाम की कार्यवाही करना, बाल विवाह की रोकथाम के लिए किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्त्ता जैसे स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, कृषि, समाज कल्याण, प्राथमिक शिक्षा विभागों के साथ समन्वय बैठक आयोजित कर इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने के लिए पाबंद किया जावें।
अक्षय तृतीया व पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर जिला एवं उपखण्ड कार्यालयों में स्थापित नियंत्रण कक्ष 24 घंटे क्रियाशील रखने व नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नंबर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जावें। विद्यालयों में बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानां की जानकारी दी जावें तथा सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव व मोहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से समझाईश की जावें तथा यदि आवश्यक हो तो कानून द्वारा बाल विवाह को रोका जावें।
*प्रिन्टिंग प्रेस वाले वर-वधु की जन्म तिथि का प्रमाण पत्र अवश्य ही लेवें*
विवाह के लिए छपने वाले निमन्त्रण पत्र के लिए वर-वधु की आयु का प्रमाण प्रिन्टिंग प्रेस वालो के पास रखने अथवा निमन्त्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तिथि प्रिन्ट किये जाने के लिए प्रिन्टिग प्रेसों को पाबन्द किया जावें।
*बाल विवाह रोकथाम के लिए इन पर की जा सकेंगी शिकायत*
बाल विवाह रोकथाम के लिए जिला व उपखण्ड कार्यालयों में स्थापित नियंत्रण कक्ष, चाइल्ड हैल्पलाइन नम्बर 1098, 181 कॉल सेन्टर तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष 100 नम्बर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है