राष्ट्रीय महिला आयोग की नई अध्यक्ष विजया राहटकर को बनाया गया है। राहटकर एनसीडब्ल्यू की 9वीं अध्यक्ष होंगी। इससे पहले वो महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं। उनके सामाजिक कार्यों में उनके योगदान और नेतृत्व के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग, एक संवैधानिक निकाय है, जो महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने का काम करता है। इसमें महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना शामिल है।
महिलाओं के लिए कई खास योजनाएं की शुरू
विजया राहटकर ने कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यों का नेतृत्व किया है। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (2016-2021) की अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने एसिड अटैक पीड़ितों के लिए ‘सक्षमा’ स्वयं सहायता समूहों को केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए ‘प्रज्वला’ और महिलाओं के लिए 24×7 हेल्पलाइन सेवा ‘सुहिता’ जैसी पहलों का नेतृत्व किया। उन्होंने POCSO, तीन तलाक विरोधी यूनिट और मानव तस्करी विरोधी यूनिट जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कानूनी सुधारों पर भी काम किया। उन्होंने डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शुरू किए और महिलाओं के मुद्दों को समर्पित ‘साद’ नामक एक पब्लिकेशन शुरू किया2007 से 2010 तक चैत्रपाती संभाजीनगर की मेयर के रूप में, राहटकर ने स्टडी और बुनियादी ढांचे से संबंधित कई विकास प्रोजेक्ट को शुरू किया।
विजया राहटकर का जन्म महाराष्ट्र में हुआ और वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता हैं। उनकी शिक्षा और प्रारंभिक राजनीतिक यात्रा महाराष्ट्र में ही हुई।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: विजया राहटकर भाजपा की एक सक्रिय कार्यकर्ता रही हैं। उन्होंने महिला मोर्चा के तहत महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाए हैं। वह महाराष्ट्र भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख भी रह चुकी हैं।
महिला आयोग में योगदान: विजया राहटकर को राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति भाजपा के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों के हिस्से के रूप में देखी जा रही है। महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनकी प्राथमिक भूमिका देशभर में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके हितों की देखभाल करना है।
महिला सशक्तिकरण में भूमिका: राहटकर ने अपने कार्यकाल में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्त रुख अपनाने की बात कही है। उनका मुख्य ध्यान महिलाओं को सामाजिक और कानूनी सहायता दिलाने, उनके अधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता के मुद्दों पर रहेगा।
नारीवादी और सामाजिक अभियानों में योगदान: विजया राहटकर ने कई अभियानों का नेतृत्व किया है जो महिलाओं के लिए शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने पर केंद्रित हैं। उनके नेतृत्व में महिला मोर्चा ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की बेहतरी के लिए काम किया है।
भविष्य की चुनौतियाँ: महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में, विजया राहटकर के सामने प्रमुख चुनौतियाँ होंगी जैसे महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में कमी लाना, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, और लैंगिक असमानता से संबंधित मुद्दों का समाधान।
इन पुरस्कार से सम्मानित
राहटकर ने पुणे विश्वविद्यालय से फिजिक्स में ग्रेजुएशन और इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट की उपाधि हासिल की है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें महिलाओं के कानूनी मुद्दों पर ‘विधिलिखित’ और ‘औरंगाबाद: लीडिंग टू वाइड रोड्स’ शामिल हैं। महिला सशक्तिकरण में उनके योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है, जिसमें राष्ट्रीय कानून पुरस्कार और एक राष्ट्रीय साहित्य परिषद से सावित्रीबाई फुले पुरस्कार शामिल हैं।